तखतपुर : – भारतीय जनता युवा मोर्चा तखतपुर के नेतृत्व में बढ़ते हुए जल संकट के निवारण हेतु अनुभाग अधिकारी एसडीएम को खुड़िया जलाशय डैम से मनियारी नदी में पानी छोड़ने हेतु ज्ञापन सौंपा गया ।
इस अवसर भाजयुमो अध्यक्ष अजय यादव ने कहाँ
वर्तमान समय मे लोग इस भीषण कोरोना महामारी से लोग जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर भीषण जल संकट से भी लोग परेशानियों का सामना कर रहा है ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में पूरी तरीके से पानी का जलस्तर बहुत ही कम हो गया है सभी नदी नाले सूख गए हैं जीव ,जंतु ,पशु ,पक्षी ,मानव सभी पानी की समस्या से परेशान हो गए हैं जल,पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है पृथ्वी का तीन चौथाई यानी करीबन 71 फीसदी हिस्सा जल से भरा है,लेकिन दुर्भाग्य से इसका अल्पांश ही पीने लायक है जल संसाधन सभी सजीवों के जीवन का आधार हैं दुनियाभर में 75 फीसदी से ज्यादा लोग पानी की कमी की संकटों से जूझ रही है आने वाले दिनों में नदियां,ताल-तलैया,एवं जल के अन्य स्रोत स्वयं ही प्यासे होते जा रहे है
एक तरफ,उच्च तापमान पर पूरा देश उबल रहा है,तो दूसरी तरफ गहराता जल संकट,प्राणियों के जीवन पर पूर्ण विराम लगाने को उतावला नजर आ रहा हैं विडंबना यह है कि जल संरक्षण के तमाम तरीके केवल कागजों पर ही सिमट जाते हैं। वही कोमल सिंह ठाकुर पार्षद ने कहा कि शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है।जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है,वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं बढ़ती गर्मी के कारण विभिन्न गांवों के जलस्रोतों के सूखने की खबरें आ रही हैं शुद्ध पेयजल के अभाव के कारण बोतलबंद पानी का व्यापार भी धड़ल्ले से चल रहा है।उपभोक्ताओं की आवश्यकता की आड़ में प्यूरीफाइड जल की जगह नकली बोतलबंद पानी भी खूब बेचे जा रहे हैं और बिक भी रहे हैं।
जल-संकट की ओर इशारा करने वाली,ये खबरें देशवासियों को बेचैन करती हैं।ऐसी स्थिति सरकार और आम जनता,दोनों के लिए चिंता का विषय है।इस दिशा में,अगर त्वरित एक्शन लेते हुए सार्थक पहल की जाए,तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में रखी जा सकती है,अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतिपूर्ण होंगे।उस समय,जल की एक-एक बूंद महत्वपूर्ण लगने लगती है,लेकिन फिर यह वैचारिकी तब धूमिल पड़ने लगती है,जब पुनः हमें बड़ी मात्रा में पानी मिलने लगता है। तिलक देवागन जिला महामंत्री ने कहाँ की नदियों का सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।इसने तमाम नवजात सभ्यताओं का पालन-पोषण किया है।
हर मानवीय आवश्यकताओं पर उसने यथासंभव मदद भी की है।यही कारण है कि हम भारतीय आज इसे मां के समान पूजनीय मान रहे हैं।दूसरी तरफ,संकटापन्न नदियों की सफाई की दिशा में सभी स्तरों पर दृष्टि का अभाव दिखता है।
कई तरीकों से हम जल का संरक्षण कर सकते हैं हर घर में यह,भू-जल स्तर को रिचार्ज करने का एक अच्छा विकल्प भी है।वृक्षारोपण पर भी जोर लेना भी हितकारी है।वृक्षारोपण कई मर्ज की दवा है।पर्यावरण संबंधी अधिकांश समस्याओं की जड़ वनोन्मूलन है।ग्लोबल वार्मिंग,बाढ़,सूखा जैसी समस्याएं वनों के ह्रास के कारण ही उत्पन्न हुई है। इसका समाधान भी वृक्षारोपण ही है।पौधे बड़े पैमाने पर लगाए जाने चाहिए। सबको पता है कि ‘जल है तो कल है’,जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है।
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