साप्ताहिक कॉलम- गोंदली के फोकला

– अखिल पांडे

कांग्रेस व भाजपा में प्रत्याशियों की लिस्ट

भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट को लेकर लगातार कौतूहल बना हुआ है। भाजपा ने 21 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस ने भी 6 सितंबर तक पहली लिस्ट जारी करने की बात कही थी, तो भाजपा में दूसरी लिस्ट भी जल्द जारी होने के संकेत दिये गये थे। इसलिए दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने को लेकर कयासबाजी हाई है। लिस्ट जल्दी जारी करने के जो नुकसान है, इसको लेकर भाजपा में कम तकलीफ नहीं है। जैसा कि यह पहले से आशंका थी। घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ विरोध और प्रत्याशियों को अपने क्षेत्र में जो समस्या आ रही है वह अनुमान के अनुरूप है। इस कारण भाजपा की दूसरी लिस्ट जल्दी आएगी इस पर मुझे भरोसा नहीं है। हालांकि अमित शाह का दौरा 12 सितंबर को है। शायद वे रायपुर में रात रुक सकते हैं, क्योंकि एक दिन बाद पीएम का दौरा है। इस दौरान प्रत्याशियों को लेकर विचार-विमर्श हो सकता है। और दूसरी लिस्ट शायद 15 तक जारी हो जाए। लेकिन अगर इस बीच लिस्ट जारी नहीं होती है फिर अगले एक सप्ताह लिस्ट जारी होगी इसकी संभावना कम है। इसलिए 25 सितंबर तक लिस्ट जारी होने की संभावना अधिक है।
कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 6 सितंबर तक जारी होने की बात कही गई थी। लेकिन कांग्रेस में जो स्थिति बन चुकी है उसके अनुसार लिस्ट को लेकर पक्के तौर पर कुछ कहना उचित नहीं दिखता। पहले स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक का पता नहीं था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दौरे के साथ स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख अजय माकन राजधानी पहुंचे और कमेटी की बैठक ली। लेकिन उससे बात बनने के बजाय उलझ गई। उससे भी बड़ी बात सेंट्रल इलेक्शन कमेटी में टीएस सिंहदेव के सदस्य बनाए जाने को लेकर है। इन बाधाओं को पार करने के बाद लिस्ट जारी होती है तो गुटीय संतुलन बनेगा या नहीं यह भी देखने वाली बात होगी। कांग्रेस में एक सकारात्मक पहलू अगर है तो वह कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे हैं। जिसमें विलपॉवर है। बताया जाता है खड़गे सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की गठन के बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड की गठन को लेकर वे पहल करने में लगे हैं। इसका गठन 30 साल पहले नरसिम्हा राव के कार्यकाल के समय 1994 में हुआ था। उसके बाद से पार्लियामेंट्री बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है। इस विल पावर को देखते हुए कह सकते हैं कि कांग्रेस की लिस्ट में कोई भी बाधा आएगी तो खड़गे जरूर संकटमोचन का काम करेंगे।

ईडी कोई बड़ी कार्रवाई करेगी!

कौतुक तो ईडी को लेकर भी है। ईडी की अगली कार्रवाई को लेकर अगर मैं भयाक्रांत शब्द लिखूंगा तो गलत न होगा! जी हां!, विपक्षी दल के नेता भयाक्रांत हैं। मैं अकेले छत्तीसगढ़ की बात नहीं कर रहा हूं। इसमें झारखंड व बंगाल भी शामिल है। माना जा रहा है कि 15 तारीख तक या फिर संसद का विशेष सत्र के बाद ईडी की बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस बात की चर्चा राजनीतिक हलकों में बड़े जोरों से चल रही है। इसमें हेमंत सोरेन या फिर ममता बनर्जी के भतीजे की गिरफ्तारी की बात हो रही है, तो सीएम भूपेश बघेल सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि, “अधिक से अधिक क्या कर सकते हैं, गिरफ्तार ही करेंगे न” यह बात कई आशंकाओं को जन्म दे रहा है। दरअसल, 2023 चुनाव के लिए एक लांच पैड की बनाया जा रहा है। यह लांच पैड वेल इक्विप्ड होनी चाहिए। इसलिए काउंट डाउन होने से पहले तैयारी पूरी हो रही है।

नौकरशाही किस तरफ

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले चार-पांच सालों में एक धाकड़ सीएम के रूप में छवि गढ़ी है। अफसरशाही को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया है। कई बार तो एक माह में अधिकारियों की दो बार पोस्टिंग हुई है। प्रमोटी आईएएस जनक प्रसाद पाठक इसका ताजा उदाहरण हैं। यह अलग बात है कि इस तबादले के भी अपने कारण हैं। लेकिन क्या नौकरशाही इससे खुश होगी। दूसरी ओर अफसरों को केंद्र का अलग खौफ है। दो आईएएस जेल में हैं। इस स्थिति में अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐन चुनाव अफसरों को किसी भी स्थिति में तटस्थ दिखना होगा।

साहू-कुर्मी से अलग राजनीति

विधानसभा की कुछ सीटों पर साहू-कुर्मी उम्मीदवार के अलावा कुछ नहीं सुझता। इससे आम कार्यकर्ता कुंठित हो जाते हैं। उन्हें पता होता है कि जब दोनों जातियों को टिकट बंटना है तो अपना क्या। लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिख रहा है। लोरमी, पंडरिया व कवर्धा सीट में भाजपा साहू-कुर्मी उम्मीदवारों का चयन करती थी। जबकि यहां से धर्मजीत सिंह और मोहम्मद अकबर चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार धर्मजीत सिंह भाजपा में है और पंडरिया व कवर्धा से अकबर लगातार दो बार कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि पंडरिया से अकबर मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। लेकिन कवर्धा में उन्होंने रिकार्ड वोट से जीत हासिल की। अब लगता है कि भाजपा में इन तीनों सीट पर साहू-कुर्मी उम्मीदवार की चिंता करेगी यह नहीं लगता। कम से कम कवर्धा से संतोष पांडेय व विजय शर्मा और पंडरिया से भावना बोहरा का नाम सबसे आगे है। जबकि लोरमी से अरुण साव चुनाव नहीं लड़ते हैं तो एसडी बड़गैया का नाम आगे दिख रहा है। क्योंकि मामला चुनाव जिताऊ उम्मीदवार का है।

बिलासपुर क्षेत्र में ब्राह्मण समीकरण का दबाव

बिलासपुर में 17 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम में आ रहे हैं। यहां ब्राह्मण समाज को 2 एकड़ भूमि शासकीय दर पर दी गई है। मुख्यमंत्री यहां भवन निर्माण भूमिपूजन कार्यक्रम में आ रहे हैं। इसके लिए भी मुख्यमंत्री राशि की घोषणा कर सकते हैं। कार्यक्रम में मंत्री रविंद्र चौबे व गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, रायपुर नगर निगम के अध्यक्ष प्रमोद दुबे और जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी भी साथ आएंगे। छत्तीसगढ़ी ब्राह्मण समाज के इस कार्यक्रम से क्षेत्र में ब्राह्मण समाज को अपने पक्ष में करने की इससे बड़ी रणनीति क्या होगी। वैसे भी पिछले चुनाव में ब्राह्मण वोट एकमुश्त कांग्रेस के पक्ष में था। कांग्रेस के इस कदम से भाजपा के सियासी समीकरण में एक दबाव जरूर महसूस होगा।

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