रमण की कविता आम बोलचाल और रोजमर्रा का अनुभव :कुलपति                                                                               रमण की कविता में अनगढ़ता ही उसकी सुंदरता और कविताई शिल्प का द्योतक : देवेंद्र

रमण की कविता आम बोलचाल और रोजमर्रा का अनुभव :कुलपति रमण की कविता में अनगढ़ता ही उसकी सुंदरता और कविताई शिल्प का द्योतक : देवेंद्र

बिलासपुर 17/11/021

छत्तीसगढ़ बिलासा साहित्य मंच के तत्वावधान में कवि एवं चित्रकार व्ही.व्ही. रमणा किरण के द्वारा रचित कविता संग्रह ‘कबूतरी बहुत सुंदर थी’ का विमोचन पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर बंश गोपाल सिंह के मुख्य आतिथ्य में एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. देवेंद्र, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की उपस्थिति में हुआ। आईएमए भवन सीएमडी चौक में आयोजित है इस कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर हुई।

कार्यक्रम के संदर्भ उद्बोधन देते हुए शिक्षाविद् संजय पांडेय ने कहा कि भाषा भाव को व्यक्त नहीं कर पाती ऐसी स्थिति में कला का जन्म हुआ है, कला अभिव्यक्ति के उद्गार का माध्यम है। रमण किरण ने अपने आप को मुक्त करने के लिए विभिन्न कलाओं को माध्यम के रूप में स्वीकार किया और उनकी वही कला न्यायधानी का गौरव बढ़ा रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार देवेंद्र ने कहा कि रमण की कविताओं में अनगढ़ता ही उसकी सुंदरता और कविताई शिल्प का द्योतक है, हम जब भी रमन की कविताओं को पढ़ते हैं तब हमें महसूस होता है कि एक आम इंसान, एक आम इंसान की बात कर रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बंश गोपाल सिंह जी ने कहा कि कविता जीवन जीने की कला है, हमें यह जीवन के विभिन्न पहलुओं से अपने अनुभवों से वाकिफ कराती हुई एक दिशा में हमें प्रशस्त करती है, ‘कबूतरी बहुत सुंदर थी’ की कविताओं में हमने अनेकों महत्वपूर्ण प्रयोग पढ़ने में मिलते हैं, यह प्रयोग आम बोलचाल और रोजमर्रा के जीवन के प्रयोग हैं, जिसे शब्दों के सहारे इस पुस्तक में लाया गया है।

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