दिल्ली : – कोरोना की दूसरी लहर में देशभर में तबाही मचने के बाद केंद्र सरकार काफी सतर्क है. सरकार लगातार राज्यों को कड़े निर्देश दे रही है, ताकि संभावित तीसरी लहर को रोका जा सके. केंद्र सरकार ने शनिवार को राज्यों के साथ मिलकर समीक्षा बैठक की. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से उन सभी जिलों में सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है, जहां वर्तमान में कोरोना की पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से अधिक है. केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन जिलों में लोगों की भीड़ को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं.
पॉजिटिविटी रेट कोरोना की कुल जांचों में पॉजिटिव पाए जाने वाले सैंपल्स की दर होती है. ज्यादा पॉजिटिविटी रेट का मतलब है कि इलाके में कोरोना वायरस संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है. केंद्र सरकार ने दस उन राज्यों के साथ मिलकर रिव्यू मीटिंग की जहां पर कोरोना की पॉजिटिविटी रेट या तो काफी ज्यादा थी या फिर दर लगातार बढ़ रही थी. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सभी जिलों ने हाल के हफ्तों में 10 फीसदी से अधिक की पॉजिटिविटी रेट की जानकारी दी है, ऐसे में इस पर विचार करने की जरूरत है कि इन जिलों में सख्त प्रतिबंध लगाने चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों की आवाजाही, भीड़ बढ़ने और लोगों के आपस में मिलने से रोकने पर काम किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “इस स्तर पर किसी भी ढिलाई होने से इन जिलों में स्थिति बिगड़ सकती है.” जिन 10 राज्यों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, वे केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और मणिपुर हैं. इन्हीं राज्यों को लेकर केंद्र सरकार और राज्यों में शनिवार को बैठक हुई.
केंद्र ने राज्यों को महत्वपूर्ण जिलों में कोविड -19 की टेस्टिंग और टीकाकरण में तेजी लाने की भी सलाह दी है. केंद्र ने कहा कि कमजोर आबादी को कोविड -19 टीकों की दूसरी खुराक देने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. मंत्रालय ने कहा कि 80 फीसदी से ज्यादा मरीज होम आइसोलेशन में हैं. सचिव भूषण ने कहा, ”इन मामलों पर प्रभावी ढंग से और सख्ती से निगरानी रखने की आवश्यकता है ताकि वे अपने पड़ोस, समुदाय, गांव, मोहल्ला, वार्ड आदि में आपस में न मिलें और संक्रमण न फैला.” उन्होंने आगे कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, उन्हें समय पर इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट करवाया जा सके.
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