आज भीमसेनी एकादशी साल का सबसे बड़ा दिन..पूरे साल का पुण्य एक दिन के उपवास में मिलता है..

आज भीमसेनी एकादशी साल का सबसे बड़ा दिन..पूरे साल का पुण्य एक दिन के उपवास में मिलता है..

रायपुर: निर्जला एकादशी आज के दिन ही मनाई जाती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. उत्तरी गोलार्ध में वर्ष में सबसे अधिक समय के लिए दृश्यमान होंगे. सूर्य सुबह लगभग साढे़ पांच बजे उदय होंगे. शाम को करीब पौने छह बजे अस्त होंगे. वे 13 घंटे 16 मिनट तक कर्क रेखा क्षेत्र में दृश्यमान रहेंगे. इसके बाद वे दक्षिणायन हो जाएंगे. आगामी छह माह दिन छोटे होंगे. साल के सबसे बड़े दिन पर निर्जला एकादशी का व्रत पर्व है.

नौतपा की समाप्ति के साथ यह व्रत भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है. यह व्रत सभी आयु वर्ग के लोग बिना अन्न-जल ग्रहण किए रखते हैं. यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को सूर्याेदय से आरंभ होकर अगले दिन सूर्याेदय तक रखा जाता है. इसमें अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता है. इस व्रत को वर्ष में एक बार करने मात्र से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं. उसके स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. यह व्रत भीषण गर्मी में आने से आसान नहीं होता है.

एकादशी व्रत का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है. इसमें महाबली भीम स्वर्ग की कामना से महर्षि वेद व्यास से निर्जला व्रत का महत्व समझते हैं. भीमसेन को भूख सहन नहीं होती है. वे भूखे नहीं रह सकते हैं. ऐसे में वे वर्ष में एक बार किए जाने वाले निर्जला एकादशी व्रत का महत्व महर्षि से जानते हैं.

यह व्रत भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है. यह जल के महत्व को बताता है. इससे लोग आगामी वर्षा ऋतु में जल के संग्रह संरक्षण के महत्व को जान पाते हैं. भगवान विष्णु स्वयं क्षीरसागर में विराजित हैं. वे जल अपव्यय न करने वालों से सदा प्रसन्न रहते हैं. उनकी कृपा से ही धनधान्य की देवी महालक्ष्मी भक्तों पर कृपा लुटाती हैं. जीवन में सुख वैभव और समृद्धि भरती हैं.

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