केंद्र सरकार और भाजपा पर आरोप लगा कर जिम्मेदारी से बचा नही जा सकता
तखतपुर : – राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती हर्षिता पांडेय ने राज्य की भूपेश सरकार को कोविड से निपटने में असफल करार देते हुए कहा है कि वो अपनी नाकामी छिपाने केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रही है।
एक बयान में हर्षिता पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के बीच तालमेल के अभाव में प्रदेश की जनता पिस रही है। मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी छोड़कर केंद्र सरकार और भाजपा के नेताओं को गलत बताने में लगे है।भाजपा नेत्री हर्षिता पांडेय सहित भाजपा जिला महामंत्री घनश्याम कौशिक, भाजपा जिला उपाध्यक्ष जीवन पाण्डेय, भाजपा जिला मंत्री दीपमाला कुर्रे, कार्यालय मंत्री राकेश चन्द्राकर, भाजपा मंडल अध्यक्ष त्रेतानाथ पाण्डेय, संतोष कश्यप, बीआर महोबिया, विश्वनाथ पटेल ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश में कोरोना के चलते स्थिति विकराल होने के बावज़ूद सामूहिकता की ऐसी कमी है कि स्वास्थ्य मंत्री को ही भरोसे में नहीं लिया जा रहा है, कोविड को लेकर होने वाली बैठकों से स्वास्थ्य मंत्री को ही दूर रखा जाता है। यहां तक कि राज्यपाल द्वारा बुलायी गयी सवर्दलीय बैठक में भी विभागीय मंत्री को अवसर नहीं दिया गया।
राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि हद तो तब हो गयी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी मुख्यमंत्रियों की वर्चुअल बैठक में भी शामिल होने के बदले सीएम बघेल ने असम में चुनाव प्रचार करना अधिक ज़रूरी समझा। खुद भी नहीं जुड़े और स्वास्थ्य मंत्री को भी उस बैठक में शामिल नहीं होने दिया। ऐसी गंभीर बैठकों को भी घृणित राजनीति की भेंट चढ़ा दिया जाता है।
पदाधिकारियों ने कहा कि पिछले दिनों आयोजित सवर्दलीय बैठक में पहले कहा गया कि सभी आमंत्रितों को लिंक भेजा जाएगा, नेतागण जहां हैं वहीं से जुड़ सकते हैं लेकिन ऐन बैठक के समय सबको रायपुर जिला पंचायत भवन बुला लिया गया। यह सब इसलिए किया गया ताकि उस समय जशपुर में रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय बैठक में शामिल न हो सकें और उसे ही बाद में मुद्दा बनाया जाए जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को कोंडागांव से ही बैठक में शामिल होने की सुविधा दे दी गयी। भाजपा की तरफ से फिर भी प्रदेश उपाध्यक्ष शामिल हुए लेकिन कांग्रेस, भाजपा अध्यक्ष के उपस्थित नहीं होने का कारण नहीं बताकर कांग्रेस झूठ बोलती रही।
भाजपा नेताओं ने कहा कि अब जब प्रदेश सरकार को प्रदेश के बिगड़ते हालात पर त्वरित निर्णय करना चाहिए, स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए, छत्तीसगढ़ की जनता की चिंता करनी चाहिए, तब प्रदेश सरकार और सीएम असम से आये बोडो प्रत्याशियों को शराब परोसने, उनके लिए बकरा भात की व्यवस्था में लगी है। चित्रकोट में उनके होने का खुलासा हो जाने के बाद प्रत्याशियों को अज्ञात जगह में छिपाया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल का यह जवाब शर्मनाक है कि ये सभी प्रत्याशी पहले भाजपा गठबंधन में थे। सरकार को चाहिए कि असम के उन प्रत्याशियों को जहां भी छिपा कर रखा गया है, उन सभी का कोविड टेस्ट कराया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। भाजपा पदाधिकारियों ने सवाल किया है कि शराब के सेस का पैसा मुख्यमंत्री बघेल ने क्या असम चुनाव में खर्च कर दिया है? शराब की हर बोतल पर जो 20 रुपए कोरोना टैक्स लगाकर लोगों से वसूला जा रहा है, सेस 400 करोड़ और डीएमएफ फंड में जमा 800 करोड़ रुपये जो जमा है, उसका अभी तक कितना पैसा खर्च किया गया है, छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है। क्या ये सारे पैसे असम चुनाव में खर्च कर दिए गए हैं? उन पैसों का कोई हिसाब नहीं लेकिन मुख्यमंत्री बघेल फिर से झूठी गंभीरता दिखाते हुए ‘सीएम रिलीफ फंड’ के नाम पर राशि जुटा रहे हैं। कैम्पा फंड का बुरी तरह दुरुपयोग किया गया है, उससे नियमों को ताक पर रख लग्जरी वाहन खरीदे गए हैं। इसके अलावे केंद्र से दी गई तमाम सहायता का क्या किया गया, इसका कोई हिसाब नहीं है।
केंद्र द्वारा दिए गए वेंटीलेटर को खोल कर भी इतने दिनों में नहीं देखा गया। अब जब इतनी किल्लत हुई है तो कह रहे हैं कि वेंटीलेटर खराब है। क्या सालभर में प्रदेश सरकार उनकी मरम्मत भी नहीं करा सकती थी? दरअसल केंद्र हर तरह से सहायता देने को तैयार है लेकिन इनकी नीयत वहां से केवल पैसे मांगने में है ताकि उसकी बंदरबांट ये कर सकें।
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