धान खरीदी को लेकर अब तक नहीं खरीदी गई बारदाना, कांग्रेस सरकार कुर्सी पाओ कुर्सी बचाओ अभियान में व्यस्त : नेताप्रतिपक्ष कौशिक

धान खरीदी को लेकर अब तक नहीं खरीदी गई बारदाना, कांग्रेस सरकार कुर्सी पाओ कुर्सी बचाओ अभियान में व्यस्त : नेताप्रतिपक्ष कौशिक

बिलासपुर : – नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश सरकार पर सीएम के रेस में व्यस्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब एक नवम्बर से धान की खरीदी शुरू होनी है तो उससे पहले प्रदेश सरकार ने अब तक जूट मिल को बोरे के लाट का आर्डर ही नहीं दिया है और जिसकी संभावानायें अभी कम दिखती है। इससे पता चलता है कि धान खरीदी को लेकर प्रदेश की सरकार कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि जब समय पर बारदानें की खरीदी नहीं की जायेगी तो इसका सीधी असर धान खरीदी पर भी पड़ेगा। जुट मिल कलकत्ता को समय पर बारदाना के लिये आर्डर देना जरूरी होता है, जिससे बारदाना की सही समय पर अपूर्ति हो सके। प्रदेश की सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिये हमेशा केन्द्र सरकार पर बारदाना आपूर्ति नहीं करने का कथित आरोप लगाती है, जो न्याय संगत नहीं है। प्रदेश सरकार हमेशा भ्रम फैलाकर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का मकसद ही हमेशा भ्रम फैलना का रहा है। किसी भी मुद्दे पर इस सरकार की नीति सही व स्पष्ट नहीं है। जिसके कारण प्रदेश की जनता को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अब सवाल यह उठता है कि जब 20 सिंतम्बर का समय बीत गया है और अभी कुछ समय शेष है इसके बाद भी बारदाना का आर्डर विगत वर्ष की तरह अब नहीं दिया गया है। जिसका असर एक नंवम्बर से होने जा रही धान खरीदी पर पड़ेगा और इसका खामियाजा हमेशा की तरह किसानों को झेलना पड़ेगा।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार कभी जनता की जरा भी चिंता नहीं है। अभी पूरी सरकार ही कुर्सी बचाओ व कुर्सी पाओ अभियान में व्यस्त है। यह सिलसिला लगातार जारी है और पूरी कांग्रेस की सरकार अपने दिल्ली के आला नेताओं को मनाने और खुश करने जुटी है। जिसके कारण धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कोई तैयारी नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल किसानों ने स्वयं के व्यय पर जो बारदाना खरीदी था उसका भी भुगतान नहीं किया गया है। जिसके कारण किसानों में काफी आक्रोश भी है। किसानों के नाम पर सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार किसानों को छलने की पूरी तैयारी कर रही है। इस सरकार के पास धान खरीदी को लेकर को मजबूत नीति नहीं है। फिर जिसका हर्जाना किसानों को ही भरना पड़ेगा।

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