अखिल पांडे
*शनिवार की सरगर्मी
शनिवार काफी तपाने वाला बीता। चाहे सूरज की तेज हो या फिर सूर्यपुत्र शनिदेव का प्रताप। राजनीतिक लिहाज से भी राजधानी सहित न्यायधानी में भी टेम्परेचर हाई रहा। राजधानी में अमित शाह का व्यस्त का कार्यक्रम, फिर सराईपाली दौरा और इधर राहुल गांधी का राजधानी प्रवास यानी भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में भारी भागमभाग। इधर न्यायधानी बिलासपुर में बीएल संतोष ने संभाग के मंडल से लेकर जिला व संभागीय पदाधिकारियों की मैराथन बैठक ली। तो कांग्रेस में स्थिति और भी विकट थी। महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीटा डिसूजा दोपहर से जो बैठक शुरू किया तो पूरी रात बैठकों का दौर चलता रहा। कांग्रेस के दावेदारों की एक-एक कर इस तरह से स्क्रीनिंग हुई की रात बीतते बीतते सुबह हो गई। तखतपुर विधायक रश्मि सिंह से घंटे भर चर्चा चलती रही। फिर अलग-अलग दावेदारों को माइक्रो लेवल का इस तरह से सवाल पूछा गया कि दावेदारों का पसीना छूट गया। मसलन आप किस तरह से चुनाव जीतने का प्लान तैयार किए हैं, आपको टिकट नहीं मिलती है तो दूसरा कौन सा उम्मीदवार आपके अनुसार सही होगा। मुसीबत यह है कि डिसूजा स्क्रीनिंग कमेटी की सदस्य है। ऐसे में बैठक को हल्के में नहीं लिया जा सकता। कुल मिलाकर राजधानी व न्यायधानी में विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही पार्टियों में किस तरह से सरगर्मी रही।
*बीजेपी की दूसरी लिस्ट तय
गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद बीजेपी की दूसरी लिस्ट तय हो चुकी है। माना जा रहा है कि आजकल में दिल्ली बैठक में या फिर रायपुर बैठक में लिस्ट जारी कर दिया जायेगा। इस बार डेढ़ दर्जन के करीब प्रत्याशियों की घोषणा संभव है। जैसा कि, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने पहले ही कह दिया था कि, जल्द ही दूसरी लिस्ट जारी कर दी जाएगी। सी और डी कैटेगरी की लिस्ट जारी होगी, यानी जिस सीट पर बीजेपी कमजोर है वहां के प्रत्याशी घोषित किए जाएंगे। इसमें बिलासपुर के कोटा, जांजगीर जिले के पामगढ़ बेमेतरा के साजा व बस्तर,सरगुजा की सीटें हैं। शनिवार को राजधानी में अमित शाह व बिलासपुर में राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष द्वारा बैठकों का दौर चला। बिलासपुर में संभागीय बैठक में पदाधिकारियों से राय-मशविरा किया गया। मण्डल स्तर के पदाधिकारियों को बुलाकर चर्चा करना एक तरह से यह संदेश देना था कि, उनकी राय का पूरा ख्याल रखा जाएगा। जिन सीटों में लगातार हार हो रही है या फिर एक के बाद दूसरी बार हार हो रही है उन सीटों के बारे में पदाधिकारियों से राय ली गई, कि किस तरह से उन सीटों को जीता जा सकता है। बैठक का उद्देश्य आम कार्यकर्ताओं के मन में बेहतर तरीके से संदेश जाना है कि, प्रत्याशी चयन उनको पूछकर किया गया है। यह अलग बात है कि लिस्ट तैयार है बस क्रॉस चेक करना जरूरी था।
*ओपी चौधरी की मजबूत है धुरी
भाजपा में जिस तरह से माइक्रो लेवल पर ब्लूप्रिंट तैयार हो रहा है उस खांचे में ओपी चौधरी फिट बैठ रहे हैं। ओपी चौधरी की प्लानिंग आलाकमान को रास आ रही है। यही कारण है कि भाजपा में ओपी की धुरी मजबूत हो रही है। दरअसल, उन्हें जिम्मेदारियां जिस तरह से मिल रही है उससे यह बात समझ में आती है कि, ओपी की प्लानिंग को लेकर हाईकमान को भरोसा है। लेकिन मुसीबत यह है कि ओपी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। रायगढ़ सीट के लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है। लेकिन यहां मुसीबत कम नहीं है। उनके खिलाफ सोशल मीडिया में अभियान शुरू हो गया है। धनाढ्य वर्ग उन्हें किस तरह से पचा पाते हैं यह देखने वाली बात होगी।
*पामगढ़ सीट हुई हाई प्रोफाइल
भाजपा की दूसरी लिस्ट में पामगढ़ जरुर है, लेकिन यह सीट अब हाई प्रोफाइल यानी अधिक दावेदारों वाली सीट बन गई है। हो सकता है कि दूसरी लिस्ट में पामगढ़ का नाम शामिल न हो। इस सीट पर भाजपा केवल एक बार 2013 में चुनाव जीत पाई है। इसके बावजूद इस सीट पर सांसद गुहाराम अजगले व पूर्व सांसद कमला देवी पाटले दो बड़े दावेदार हैं। स्थानीय भाजपा नेताओं की दावेदारी में भी कोई कमी नहीं है। पिछले तीस सालों में पामगढ़ सीट बसपा का गढ़ बन चुकी है। इस बीच एक-एक बार कांग्रेस व भाजपा की जीत हुई है। बाकी के पांच चुनाव में यानी 1991,93,98 में लगातार तीन बार बसपा से दाऊराम रत्नाकर 2003 में कांग्रेस से महंत रामसुंदर दास 2007 में बसपा से दुजराम बौद्ध, 2013 में भाजपा से अंबेश जांगड़े और 2018 में एक बार फिर इंदु बंजारे बसपा का परचम फहरा चुकी हैं। इस बार बसपा ने इंदु बंजारे को फिर से टिकट दिया है। लेकिन इस सीट पर अधिक दावेदार होने की मुख्य वजह बसपा का कमजोर होना है। बसपा के कमजोर होने से भाजपा के लिए अधिक अवसर होने के कयास में भाजपा में दावेदारों की फौज बढ़ गई है।
*सांसद लड़ेंगे, विधायक कटेंगे
दुर्ग सांसद विजय बघेल को विधानसभा प्रत्याशी बना दिया गया है। भाजपा से पूर्व सांसद रामविचार नेताम भी प्रत्याशी हैं। इधर गुहाराम अजगले के पामगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है। रायगढ़ सांसद गोमती साय, रायपुर सांसद सुनील सोनी व बिलासपुर सांसद अरुण साव को विधानसभा का टिकट दिये जाने की चर्चा पहले से हो रहीहै। इधर भाजपा के वर्तमान विधायकों में से आधे के टिकट कटने के संकेत पहले से मिल चुके हैं। ऐसे आधा दर्जन से अधिक विधायक हैं, जिनके टिकट कटने के संकेत मिल रहे हैं। कुल मिलाकर भाजपा जिस तरह से प्रत्याशी चयन में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है उससे समझ बनती है कि आम कार्यकर्ता बम बम हैं। क्योंकि भाजपा कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि सर्वे के आधार पर प्रत्याशी चयन हो रहा है वह कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप ही है।
*छत्तीसगढ़ में I.N.D.I.A. इफेक्ट
चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में I.N.D.I.A. गठबंधन का इफेक्ट दिखेगा। यानी एनडीए की विरोधी पार्टियों में I.N.D.I.A. नाम का गठबंधन बना है उसमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और जिम्मेदारी भी बड़ी। इसलिए गठबंधन धर्म निभाने की जिम्मेदारी भी कांग्रेस को दिखाना होगा। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने अपने यू-ट्यूब चैनल में इस बात का खुलासा किया कि, कांग्रेस और आप पार्टी में गठबंधन हो सकता है। उनका कहना था कि हाई लेवल में यह बात शुरू हो चुकी है कि कुछ सीटें आप पार्टी को दी जाए। जबकि बस्तर की कोंटा सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मनीष कुंजाम को समझौते के तहत कांग्रेस एक सीट दे सकती है। आप पार्टी को लेकर यह कहा जा रहा है कि, बिलासपुर क्षेत्र में आप पार्टी का अच्छा प्रभाव है और आप पार्टी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा रही है। और यह सच्चाई भी है। लेकिन अपना मानना है कि आप पार्टी के पास कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है। ऐसे में आप पार्टी वोट ले पाएगी इस पर मुझे संदेह है। और यह बात कांग्रेस नेता भी जानते हैं। हां, अगर सांसद व बिलासपुर के माटी पुत्र डॉ. संदीप पाठक सक्रिय होते तो बात कुछ और होती या फिर कांग्रेस व भाजपा में कोई टूट की स्थिति बनती है और आप पार्टी को कोई दमदार प्रत्याशी मिलता है तो कांग्रेस को आप पार्टी से समझौते में फायदा हो सकता है। लेकिन यह स्थिति फिलहाल नहीं दिख रही है।
*कांग्रेस में घमासान का इंतजार
भाजपा जिस तरह से चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहना रही है, उससे कांग्रेस में भी टिकट वितरण को लेकर काफी तेजी दिख रही है। दिल्ली की टीम राजधानी में बैठकर इनपुट्स निकालकर आलाकमान को दे रही है। लेकिन कांग्रेस कैडर बेस्ड पार्टी नहीं है। यहां मजबूत टांग रखने वाले नेता ही राजनीति में टांग अड़ाते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि जब टांग मजबूत हो तो बैसाखी की क्या जरुरत। कांग्रेस में धाकड़ नेताओं की कमी नहीं। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है टिकट को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिंता बढ़ने लगी है। सरगुजा में कांग्रेस नेताओं के बीच घमासान से भाजपा के चेहरे खिल गए हैं। क्योंकि यहां भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। टीएस बाबा को पार्टी में जिस तरह से महत्व मिल रहा है उससे यह संदेश गया है कि कम से कम सरगुजा में बाबा की ही चलेगी। जिसकी वजह से विरोधी गुट के नेता अभी से टिकट को लेकर बयानबाजी में लग गए हैं। कांग्रेस आलाकमान को प्रदेश में पार्टी को एकजुट रखना सबसे बड़ी चुनौती है। राज्य के अधिकांश चुनाव में कांग्रेस में फूट सामने आई है। इसलिए भी कांग्रेस में फूट का इंतजार विरोधी पार्टी को रहेगी।
*ईडी की कार्रवाई को लेकर आशंका
ईडी व आईडी की कार्रवाई को लेकर आशंका बनी हुई है। लेकिन जिस तरह से राष्ट्रीय मीडिया में जो बात चल रही है, उसके हिसाब से इस सप्ताह के आखिर में जी-20 सम्मेलन है और उसके बाद संसद का विशेष सत्र। इस स्थिति में ईडी की देशव्यापी कार्रवाई की आशंका नहीं है। लेकिन इसके बाद एक बार फिर से ईडी की कार्रवाई तेज हो जाएगी इसकी पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है।
*संसद का विशेष सत्र
संसद के विशेष सत्र को लेकर राष्ट्रीय मीडिया में काफी बातें हो रही है। क्योंकि विशेष सत्र का अभी एजेंडा तय नहीं हुआ है। वन नेशन, वन इलेक्शन । यूसीसी, महिला आरक्षण की बात हो रही है। तो मीडिया हाईप बनाने याकि मोदी को विश्व नेता बताने संसद में यशोगान जैसी कई बातें सामने आ रही है। ब्यूरोक्रेट्स पर काफी पैनी नजर रखने वाले सुरेश मेहरोत्रा ने उत्तर प्रदेश राज्य विभाजन की भी बात कही है। लेकिन निश्चित तौर पर कोई भी राष्ट्रीय मीडिया सही जानकारी देने की स्थिति में नहीं है। अलबत्ता वन नेशन, वन इलेक्शन की बात आती है तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव प्रभावित होना तय है।
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