साप्ताहिक कॉलम – गोंदली के फोकला

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अखिल पांडे

बिलासपुर 17/07/2023

अखिल पांडे
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर संशय
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा एक बार फिर से थम गई है। छत्तीसगढ़ को मिलने वाले प्रतिनिधित्व के कारण प्रदेश भाजपा में मायूसी स्वाभाविक है। लेकिन मोदी मंत्रिमंडल को लेकर जो बातें राष्ट्रीय मीडिया में है उसके अनुसार 19 जुलाई तक फैसले की उम्मीद बाकी है। 18 जुलाई एनडीए के घटक दलों की बैठक बुलाई गई है। इसके बाद 20 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है। इस हिसाब से अगले दो दिनों तक कयासबाजी का दौर चलता रहेगा। इसके बावजूद माना जा रहा है मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला होगा इसमें संशय अधिक है। क्योंकि सहयोगी दलों से मंत्री बनाया जाना है जिसको लेकर चर्चा खत्म नहीं हुई है। देखने वाली बात होगी कि संसद सत्र के पहले फेरबदल होता है या नहीं। लेकिन छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों में चुनाव बमुश्किल तीन माह बचे हैं। ऐसे में अन्य राज्यों सहित प्रदेश भाजपा को सशक्त बनाने मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व मिलना एक बड़ा कदम होगा।
कांग्रेस में हो रहे फैसले अप्रत्याशित
कांग्रेस में इन दिनों जिस तरह से फैसले हो रहे हैं उससे पार्टी के अंदर बम-बम है। कांग्रेस के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही संगठन में नई नियुक्ति नहीं कर पाए हों लेकिन छत्तीसगढ़ व राजस्थान में संगठन में जो जान फूंकी है वह हतप्रभ करने वाला है। प्रदेश में जिस तरह से संगठन व सरकार में मतभेद की स्थिति बनी थी वह ऐन चुनाव के वक्त काफी विस्फोटक थी। लेकिन तीन माह के लिए टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री पद के लिए मनाना, ऊपर से उनके खासमखास मंत्री को हटाकर योजना आयोग में पुनर्वास करा देना। इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नाराजगी दूर कर मंत्री पद की शपथ दिलाई और मुख्यमंत्री के मनमाफिक पीसीसी अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई। यह छोटी बात नहीं है। प्रदेश में ठीक विधानसभा चुनाव के पहले संगठन में जिस तरह से सभी धड़ों को संतुष्ट किया गया है वह अप्रत्याशित ही है।
चुनाव अभियान समिति प्रमुख कौन होगा
प्रदेश भाजपा चुनाव अभियान समिति किसे मिले इस पर जोर आजमाइश चल रही है। बृजमोहन अग्रवाल दिल्ली में धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर वापस लौट चुके हैं। इसके अलावा इस प्रमुख दायित्व के लिए प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता उम्मीद उम्मीद पाले बैठें हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री व प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी मनसुख मंडाविया राजधानी पहुंच चुके हैं। भाजपा में चुनाव अभियान समिति का प्रमुख होना काफी मायने रखता है। खासकर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने से पहले चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था, तब से इस पद की महिमा बढ़ चुकी है। जबकि भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस स्थिति में प्रदेश के दिग्गज इस पद को लेकर किस तरह से उम्मीद लगाए हैं यह समझा जा सकता है। माना जा रहा है कि अगले दो दिनों के अंदर भाजपा में महत्वपूर्ण फैसले ले लिए जाएंगे।
सीधे मुकाबले के लिए भाजपा के पास क्या है रणनीति
छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब तक विधानसभा के चार चुनाव हुए हैं। 2018 का चुनाव छोड़ दें तो बाकी के तीन चुनावों में कांग्रेस व भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला हुआ है। भाजपा के चुनाव जीतने में तीसरी पार्टी की भूमिका महत्वपूर्व रही है। लेकिन इस बार जिस तरह से राजनीतिक समीकरण दिखाई पड़ रहा है उससे अधिकांश सीटों पर सीधे मुकाबले की स्थिति बन रही है। मैदानी इलाके की सीटों में जहां त्रिकोणीय मुकाबला अधिक होता है या यों कहें कि जीत के अंतर वाले वोट से कहीं अधिक तीसरे स्थान के उम्मीद्वार को वोट मिलता है, वहां पर भाजपा को अधिक फायदा होता रहा है। लेकिन इस बार तीसरे मोर्चे की संभावना कमजोर है। पूर्व मुख्यमत्री अजीत जोगी और गोंगपा सुप्रिमो हीरासिंग मरकाम के निधन से तीसरे मोर्चें में पहले जैसी ताकत नहीं दिख रही है। कांग्रेस के अंतर्कलह का लाभ आप पार्टी या तीसरे मोर्चे को मिलने की संभावना दिख रही थी। लेकिन कांग्रेस आलाकमान के सख्त रुख और डेमेज कंट्रोल के परिणामस्वरुप तीसरे मोर्चे को जोर का झटका लगा है। राजनीति के बदले हालात में भाजपा सीधे मुकाबले के लिए कितना तैयार है यह फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। आने वाले दिनों में प्रदेश भाजपा में होने वाले फैसले से यह साफ हो सकेगा कि आदिवासी व दलित वोटो को किस तरह से भाजपा अपनी ओर आकर्षित कर सकेगा। क्योंकि यही फैसला आगामी विधानसभा चुनाव में बने रहने की कुंजी है।
घोषणा पत्र समिति पर विशेष ध्यान
घोषणा पत्र समिति के संयोजक व सांसद विजय बघेल बूथ लेवल तक आम जनता की मांग को लेकर योजना बनाई है। एक तो समिति को 15 उपसमिति में विभाजित किया है। जिसमें अलग-अलग विषय मसलन कृषि,स्वास्थ्य,शिक्षा, युवा मामले, महिला अधिकार आदि को शामिल करने का दायित्व संभागीय समितियों को दिया है। पिछले चुनाव में घोषणा पत्र किस तरह से कारगर था यह सबको पता है। टीएस सिंहदेव घोषणा पत्र समिति के मुखिया थे। उन्होंने सारे विषयों को लेकर आम जनता में क्या उम्मीदें हैं उसके आधार पर घोषणा पत्र तैयार किया था। यही कारण है कि भाजपा भी हर लेवल पर जनता का नब्ज टटोलने में लगी है। लेकिन इससे पहले आरोप पत्र समिति ने काम करना शुरू कर दिया है और वर्तमान सरकार किन मुद्दों पर फेल है, कौन से वादे पूरे नहीं हुए हैं इस पर पहले काम किया जा रहा है फिर घोषणा पत्र में उन मुद्दों को भी शामिल भी किया जाना है।

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